रांची/लोहरदगा। कभी हंडिया (चावल से बनने वाली स्थानीय शराब) बेचकर गुजर बसर करने वाली आदिवासी महिला आज श्वेत क्रांति की वाहक बन चुकी
है। लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड अंतर्गत आदिवासी गांव नवाटोली की रहने
वाली 40 वर्षीया सुषमा लकड़ा को अब शराब बेचने वाली के तौर पर नहीं बल्कि,
इलाके में नई क्रांति लाने वाली महिला को तौर पर जाना जाता है।
2004 से पहले उसे हाट-बाजारों में हड़िया बेचने वाली के तौर पर जाना जाता था। लेकिन परिवार चलाने की मजबूरी में जब उस हड़िया से मुक्ति रास्ता मिला तो वह अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी, बल्कि कई अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। अपने इलाके में अब वह महिलाओं की प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
आगे क्लिक कर देखें सुषमा के श्वेत क्रांति की तस्वीरें और पढ़ें उनकी पूरी कहानी...
2004 से पहले उसे हाट-बाजारों में हड़िया बेचने वाली के तौर पर जाना जाता था। लेकिन परिवार चलाने की मजबूरी में जब उस हड़िया से मुक्ति रास्ता मिला तो वह अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी, बल्कि कई अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। अपने इलाके में अब वह महिलाओं की प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
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